Friday 14 May 2010

मेरा घर


कहाँ गया मेरा घर
कैसे रही मैं बेखबर
यही तो था पेड़ के नीचे
कैसे ढ़ुंढ़ू उसके पीछे.

4 comments:

Udan Tashtari said...

अच्छी चित्रकारी!!

रावेंद्रकुमार रवि said...

कित्ता सुंदर चित्र बनाया है!
--
मेरे मन को तो भा गया!

रावेंद्रकुमार रवि said...

मनभावन होने के कारण
चर्चा मंच पर

हम सब की आँखों के तारे!


शीर्षक के अंतर्गत
इस पोस्ट की चर्चा की गई है!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सुन्दर....