Wednesday, 4 August 2010

गुनगुन चली गयी..


हमारी गुनगुन चली गयी....................मंगल 3.08.2010 की सुबह 5.०० बजे सब कुछ अमंगल करके..........जन्म  के  छटे  दिन  बाद  के  ये  उसके पैरों   के  निशान .....

9 comments:

Akshitaa (Pakhi) said...

यह तो बहुत बुरा हुआ....अब तो बहुत ख़राब लग रहा होगा.

रावेंद्रकुमार रवि said...

इससे बुरा और क्या हो सकता है!
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मन बहुत उदास हो गया!
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दु:ख की इस घड़ी में हम आपके साथ हैं!
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मुझे विश्वास है -
गुनगुन फिर से आएगी!
एक नई रुनझुन के साथ!

Smart Indian said...

हे भगवान! विश्वास नहीं हो रहा है।

माधव( Madhav) said...

सुन कर बहुत दुःख हुआ , दिल भारी हो गया .

rashmi said...

शब्द, यह सही है, सब व्यर्थ है
पर इसलिए कि शब्दातीत कुछ अर्थ है.
शायद केवल इतना ही : जो दर्द है
वह बरा है, मुझसे ही सहा नहीं गया.
तभी तो, जो अभी और रहा, वह कहा नहीं गया.........

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

विधि के विधान के आगे सब बेबस हैं!
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दु:ख की इस घड़ी में हम आपके साथ हैं!

barun said...

kya bataun kaisa mahsus ho rha hai,lakin jo bhi hua bhut bura hua b passence everyrhing will b fine,situ

स्वयम्बरा said...

man bahut udas ho gaya......

niranjan dubey said...

भईया बताये...
सुनके बहुत दुख हुआ....
क्यूं होता है ऐसा.....