Friday, 23 January 2009

मेरी गाय

मेरी गाय
चलती जाय
अपनी पूछ उठाय.
मैं तो खाऊ टाफ़ी-आइसक्रीम,
वो मुझसे छड़ी खाय....

7 comments:

प्रताप नारायण सिंह (Pratap Narayan Singh) said...

आप और आपकी गाय दोनों ही बड़े प्यारे हैं बुलबुल....
एक नन्ही सी परी सी
या कि जूही की कली सी
लघु पाँव चंचल चंचला सी
सरित बहती निर्मला सी
अति-सुकोमल कमल मुख पर
भंगिमाएं विविधतर धर
विहँसती सूरजमुखी सी
एक नन्ही सी परी सी
आपको देखकर और आपकी कविता पढ़कर मन प्रसन्न हो गया...दिन भर की थकान दूर हो गयी.

प्रताप नारायण सिंह (Pratap Narayan Singh) said...

ओह..पिछली टिप्पडी में आपका नाम ग़लत लिख गया चुलबुल...क्षमा

संगीता पुरी said...

बहुत सुंदर....तुमहारे ब्‍लाग पर आकर अच्‍छा लगा।

अनिल कान्त said...

बहुत ही प्यारा ब्लॉग है ....बहुत अच्छा

अनिल कान्त
मेरा अपना जहान

के सी said...

achcha hai

Udan Tashtari said...

बेटु, छड़ी मत मारना..आप टॉफी खाओगे तो उसे भी खिलाओ..उसी के दूध से तो टॉफी बनी है..है न!!

makrand said...

accha varnan