मंगल 3.08.2010 की सुबह 5.०० बजे सब कुछ अमंगल करके .............
सपनों में खोई रूपाली, लगती थी : ख़ुशियों की डाली!
लेकिन अब यह रूपाली हमेशा के लिए सपनों में खो गई है!
चुलबुल, दु:ख की इस घड़ी में हम सब तुम्हारे साथ हैं!
गुनगुन फिर से आएगी! एक नई रुनझुन के साथ!
गुनगुन फिर से आएगी! एक नई रुनझुन के साथ!
फूलों की तरह फिर से मुस्कराएगी तुम्हारे साथ!
रावेंद्रकुमार रवि
2 comments:
Sad!
so emotional... very nice..
Meri Nayi Kavita aapke Comments ka intzar Kar Rahi hai.....
A Silent Silence : Ye Kya Takdir Hai...
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